शाख से टूटे पत्ते की तरह हूँ फिर भी मुझे जीया रहे हो,
सोचते हो मनी प्लांट हूँ.. पानी भरी बोतल में डाल दोगे तो हरा भरा हो जाऊंगा..
क्या सोचा है मेरे से कुछ मिलेगा.. पागल हो गये हो ... तुम सब ..
जाओ यहाँ से मुझे चैन से मरने दो !!!
हुनर...पत्थर तराशने का !!
अभी ना जाओ छोड़ कर , कि दिल अभी भरा नही !
अभी-अभी तो आए हो , बहार बन के छाए हो ....
हवा जरा महक तो ले , नजर जरा बहक तो ले ....
यह शाम ढल तो ले जरा , यह दिल संभल तो ले जरा ....
मैं थोड़ी देर जी तो लूं , नशे के घूँट पी तो लूं ....
अभी तो कुछ कहा नहीं , अभी तो कुछ सुना नहीं ....
अभी ना जाओ छोड़ कर , यह दिल अभी भरा नही ....
तारे झिल-मिला उठे , चिराग जग-मगा उठे ...
बस अब ना मुझ को टोकना , ना बढ़ के राह रोकना ....
अगर मैं रुक गई अभी , तो जा ना पाऊँगी कभी ....
यही कहोगे तुम सदा , कि दिल अभी नही भरा ...
जो ख़तम हो किसी जगह , यह ऐसा सिलसिला नही ...
अभी नहीं अभी नहीं ...... नहीं नहीं नहीं नहीं ......
अभी ना जाओ छोड़ कर , कि दिल अभी भरा नहीं ....
अधूरी आस छोड़ के , अधूरी प्यास छोड़ के ....
जो रोज यूं ही जाओगे , तो किस तरह निभाओगे ....
कि जिंदगी की राह में , जवान दिलों की चाहों में ....
कई मुकाम आएँगे , जो हम को आजमाएँगे ....
बुरा ना मानो बात का , यह प्यार है गिला नहीं ....
यही कहोगे तुम सदा , कि दिल अभी भरा नहीं ....
हा दिल अभी भरा नहीं , नहीं नहीं नहीं नहीं .....